Wednesday, May 20, 2009

ख्वाब में भी मेरे अपने न हुए...

इस सोच में थे डूबे की काश आप हमारे होते,
ख्वाबों के समंदर में दिल गोते खा रहा था,
कमबख्त इस बदकिस्मती की इन्तेहा तो देखो,
ख़्वाब में भी आपका आँचल हाथों से फिसलता जा रहा था…

ये जानता है दिल की आप कभी हमारे नही हो सकते,
फिर भी इस दिल को खुदा से आपका साथ मांगने की आदत हो गई है,
दोस्तों के कई काफ़िले निकले और हमें अकेला छोड़ गए,
क्या करें की अब तनहा जीने की आदत हो गई है…

आपने कहा मिटा दो अपनी यादों से मेरा हर ज़र्रा,
किसी और से कर लो वफ़ा के वादे,
इश्क में बस इतनी सी नादानी हो गई हमसे,
आपके साथ गुज़ारा हर लम्हा बन गया तमाम उमर भर की यादें…

ऐसा नही की आपको भूलने की कोशिश नही की इस दिल ने,
उन हसीन यादों को दफना न सके बताओ हम क्या करें,
धीरे धीरे से रखा था हर कदम आपकी दुनिया में,
के आप न आए हमारे ख्वाबों को सजाने बताओ हम क्या करें...

-नीरज

2 comments:

$ak$hi said...

Awesome dost!!!!!!!

Inspired By Experiences said...

Ovreall it was good....but the last two lines I liked the most....