Tuesday, December 9, 2008

वो लम्हे...

गिला नही हमें आपकी बेरूखी का ,

हम तो हैरान हैं इस बात पे,

सिसकती आहों से हम जब सह रहे थे दर्द-ऐ-जुदाई,

इलज़ाम हमपे लगा दिया आपने बेवफाई का...


खुली आंखों से देखते थे हम वो मंजर,

जब रहते थे आप हमारी आगोश में,

न था हमारे दरमियां एक तिनके का भी फासला,

काश की थम जाता वो लम्हा सारी उमर...


मंजूर थी सारी कायनात से रंजिश आपकी चाहत में,

दुआओं में हर पल आप ही थे हमारे,

नादान थे हम, और थे अनजान इस बात से,

इश्क़ तो ख़ुदा से भी नही मिलती खैरात में...


हसरतों पे हमारी, इस ज़माने का सख्त पहरा है,

न जाने कौन सी उम्मीद पे अब जाके यह दिल ठहरा है,

आंखों से मेरी छलकते हुए इस अश्क और गम की कसम,

आपके लिए मेरे जज्बातों का ये सागर, बहुत गहरा है...


किनारा नही है अब हमारी आंसुओं की इस कश्ती का ,

चाहत में आपकी बहुत दूर निकल आए हैं अब हम,

खुश रहो तुम सदा, है ये गुज़ारिश मेरी,

हो नसीब तुम्हें हर वो सुख जो हमें मिल न सका...


- नीरज

Thursday, December 4, 2008

कैसे करूँ अंदाज़ ऐ बयान...

थी सोच ये हमारी की नजदीकियाँ सुकुन देती हैं ,

पाया ख़ुद को आपके करीब तो हुआ ये एहसास,

हर पल रहा करते हैं अब कश्मोकश में,

अब है ये जाना, कम्बख्त बस बेचेनी देती हैं...


कभी सोचता हूँ की कह दूँ ये हाल--दिल अपना,

कभी लब्ज़ नही मिलते कभी एहसास खो जाते हैं,

बरसों से धूल पड़ी है जिन एहसासों पे,

कुछ और पल उन्हें सोने दिया जाए तो क्या जाता है...


अब तो है बस आपकी साँसों की खुशबू को दिल में बसाने का इरादा,

टूट जाए साँसों का ये सिलसिला, टूटेगा हमारा ये वादा,

बेपनाह मोहब्बत की वो मिसाल कायम करूँ की हो जाए आपको ये येकिन,

चाहेगा आपको कभी, कोई इस आशिक से ज्यादा...


अब तो बस दिन--दिन बढ़ती जायेगी ये उल्फत,

एक पल भी आपसे जुदा होना गवारा होगा,

संभाल के रखा था जजबातों की तिजोरी में जिस दिल को,

वो ना अब कभी फिर हमारा होगा!!!


- नीरज

Monday, December 1, 2008

ख्वाहिश है चाँद को पाने की


ख्वाहिश है चाँद को पाने की,
मगर चांदनी है की हमसे ख़फा है,
आरज़ू है किसी के इश्क़ में लूट जाने की,
मग़र बिना पाए किसी को चाहना भी तो वफा है...

न चाहा हमने कभी ये इश्क का समन्दर,
हमें तो बस सच्चे मोहब्बत के इक पल की आस है,
वो पल जिसके सहारे ये ज़िन्दगी गुज़र जाए,
चाहत की उस इक बूँद की प्यास है...

ऐसा नही की हमने कभी मोहब्बत नही की,
हमने तो खुदा से ज्यादा उसकी बन्दगी की है,
किसी को तहे दिल से चाहना कोई खता तो नही,
ना पाने का गिला रखना इश्क की शर्मिंदगी है...

हम नही जानते ये तलाश कब खत्म होगी,
किसी दिन हमारी ज़िन्दगी भी किसी को अज़ीज़ होगी,
ना छोडेंगे हम कभी उम्मीद का ये दामन,
साँसे थम भी जायें तो ये खुली पलकें इंतज़ार करेंगी...

- नीरज