Monday, May 24, 2010

खता क्या है हमारी...

जिनके दिल के हम सबसे करीब थे,
चन्द दिनों में उन्होंने बेगाना कर दिया,
जो पूछी हमने उनसे अपनी ख़ता
बेरहमी का इलज़ाम हमपे उन्होंने लगा दिया...

- नीरज

Sunday, May 2, 2010

ये दर्द अब सहा नहीं जाता..

खुदा करे एक दिन ऐसा भी आये,
जब वोह तड़पे हमारी एक झलक को,
इस क़दर दूर हो जाएँ जब वोह पास हमारे आये,
चूम न सकें वोह कभी हमारी पलकों को...

काश एक दिन ऐसा भी आता,
जब हमारा ये दिल उनके पास होता,
तो फिर महसूस कर सकते वोह हमारे दर्द को,
फिर शायेद यूँ न हमें ठुकराया होता...

हमारी मोहब्बत में थी इतनी कशिश,
उन्हें बना दिया एक फूल जो हमेशा मेहेकता है,
उनकी बेरुखी भी कोई कम न थी,
हमें बना दिया वोह काँटा जो हर पल चुभता है...

सोचा दिल से नफरत करें उनसे कभी हम,
ऐसा हो की तरसे वोह भी किसी के प्यार को,
कुदरत का तमाशा तो देखो ऐ दोस्तों,
हमारी बददुआ भी दुआ बनके लगी यार को...

-नीरज