Monday, December 1, 2008

ख्वाहिश है चाँद को पाने की


ख्वाहिश है चाँद को पाने की,
मगर चांदनी है की हमसे ख़फा है,
आरज़ू है किसी के इश्क़ में लूट जाने की,
मग़र बिना पाए किसी को चाहना भी तो वफा है...

न चाहा हमने कभी ये इश्क का समन्दर,
हमें तो बस सच्चे मोहब्बत के इक पल की आस है,
वो पल जिसके सहारे ये ज़िन्दगी गुज़र जाए,
चाहत की उस इक बूँद की प्यास है...

ऐसा नही की हमने कभी मोहब्बत नही की,
हमने तो खुदा से ज्यादा उसकी बन्दगी की है,
किसी को तहे दिल से चाहना कोई खता तो नही,
ना पाने का गिला रखना इश्क की शर्मिंदगी है...

हम नही जानते ये तलाश कब खत्म होगी,
किसी दिन हमारी ज़िन्दगी भी किसी को अज़ीज़ होगी,
ना छोडेंगे हम कभी उम्मीद का ये दामन,
साँसे थम भी जायें तो ये खुली पलकें इंतज़ार करेंगी...

- नीरज

4 comments:

Manish said...

Waah ra aashik!
waise,missed you blogs buddy! there is much to munch here.

besh wishes,
:-)

Anonymous said...

Nice lines and welcome back !

Hope to see you more often now.

BTW, that was my old blog where you have commented. I do not blog there now. Below is my new url.

http://cuckooscosmos.com/Musings

Anshul Agrawal said...

Awesome lines...

Do tell us, to whom these lines are dedicated to??? ;)

Unknown said...

ख्वाहिश है चाँद को पाने की....
Very emotional...n Superb..
Good going Niraj